सेहत के लिए सुरक्षित नहीं ट्राइक्लोसन युक्त टूथपेस्ट, साबुन और डिओडोरेंट

Share this

नई दिल्ली (इंडिया साइंस वायर): कई उपभोक्ता उत्पादों में ट्राइक्लोसन का उपयोग अवांछनीय सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रोकने के लिए किया जाता है, ताकि उन उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ायी जा सके। लेकिन, ट्राइक्लोसन युक्त टूथपेस्ट, साबुन और यहां तक कि डिओडोरेंट जैसे उत्पादों का उपयोग खतरे से खाली नहीं है। भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि टूथपेस्ट, साबुन और डिओडोरेंट जैसे दैनिक उपयोग से जुड़े उत्पादों में प्रयुक्त बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव प्रतिरोधी एजेंट ट्राइक्लोसन मनुष्य के तंत्रिका-तंत्र को प्रभावित कर सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि स्वीकृत सीमा के भीतर भी ट्राइक्लोसन का उपयोग नियमित रूप से किया जाए तो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), हैदराबाद के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। 

शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत में ट्राइक्लोसन के उपयोग की स्वीकृत सीमा 0.3 प्रतिशत है। हालांकि, स्वीकृत सीमा से 500 गुना कम ट्राइक्लोसन भी मानव तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है। इस अध्ययन से संबंधित शोध निष्कर्ष शोध पत्रिका केमोस्फीयर में प्रकाशित किए गए हैं। 

शोधकर्ताओं ने कहा है कि ट्राइक्लोसन बहुत छोटी खुराक में लिया जा सकता है। लेकिन, दैनिक उपयोग की वस्तुओं में इसकी मौजूदगी अत्यंत खतरनाक हो सकती है। यह अध्ययन जेबराफिश पर किया गया है, जिसकी प्रतिरक्षा क्षमता मनुष्य के समान होती है। 

इस अध्ययन से जुड़ीं प्रमुख शोधकर्ता डॉ अनामिका भार्गव ने कहा है कि “हमें पता चला है कि सूक्ष्म मात्रा में ट्राइक्लोसन न केवल न्यूरोट्रांसमिशन में शामिल जीन्स और एंजाइमों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह न्यूरॉन्स को भी नुकसान पहुँचा सकता है, और जीवों के मोटर फंक्शन को प्रभावित कर सकता है।”

ट्राइक्लोसन, बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव प्रतिरोधी एजेंट है, और मानव शरीर के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह रसायन बर्तनों और कपड़ों में भी पाया जा सकता है। 1960 के दशक में इसका प्रारंभिक उपयोग चिकित्सा देखभाल उत्पादों तक ही सीमित था। हाल ही में, अमेरिका के फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने ट्राइक्लोसन के खिलाफ उठने वाले सवालों की समीक्षा के बाद इसके उपयोग पर आंशिक प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, अभी तक भारत में ट्राइक्लोसन आधारित उत्पादों पर ऐसा कोई नियम लागू नहीं है। (इंडिया साइंस वायर)


Share this

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here