श्री करौली शंकर महादेव का गीता ज्ञान जो हर युवा को २०२४ में करेगा प्रेरित, यहां पढे

Shri Karauli Shankar Mahadev's Geeta knowledge which will inspire every youth in 2024
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कानपुर स्थित करौली सरकार पूर्वज मुक्ति धाम के श्री करौली शंकर महादेव अपने विचारों और मार्गदर्शन की वजह से लाखों भक्तों के चहेते बन चुके है। करौली शंकर महादेव के विचार व प्रवचन सुनकर भक्तों को एक अलग नज़रिया मिलता है। हाल ही में उन्होंने अपने एक प्रवचन में श्रीमद भगवद्गीता के संबंध में कुछ ऐसी बातें कही जिन्हें सभी को सुनना चाहिए खासकर युवाओं को। गुरुजी ने कहा भगवान श्री कृष्ण ने जो गीता का संदेश दिया है, उससे लोगो की बुद्धि एवं आत्मा का विकास हो सकता है, यह ज्ञान समाज के काम का है,लोक एवं परलोक दोनों जगह काम आने वाला है।

उन्होंने आगे कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भगवत् गीता के माध्यम से जो संदेश मानव जाति को दिया वह केवल अर्जुन के लिए नहीं था, अर्जुन के भीतर बैठी आत्मा के माध्यम से सभी को यह बताना चाहा की यह संपूर्ण जगत की आत्मा एक समान है। श्री कृष्ण के वास्तविक गुणों के बारे में बताते हुए गुरुजी ने कहा कि जितने भी कथावाचक जिन अवगुणों का बखान कर रहे है वह वास्तव में श्री कृष्ण के चरित्र को धूमिल कर रहें है, जहाँ यह लोग गोकुल और वृंदावन में कृष्ण की लीलाओं का बखान करते है, यह कहते है की 12 वर्ष तक श्री कृष्ण वहाँ रहे थे, और उसके बाद वह मथुरा की और प्रस्थान कर गये, क्या 12 वर्ष का बच्चा गोपियों के कपड़े चुराना, घर में माखन का भंडार होते हुए भी माखन चुराना, गोपीकाओं की मटकी फोड़ना उन्हें छेड़ना, उनके साथ रास लीला करना, क्या यह सब कर सकता है? वह भी उस देश में रहने वाला बालक जहाँ महान सनातन परंपरा के गुरुकुल थे, नहीं यह श्री कृष्ण नहीं हो सकते, यह एक आम मनुष्य के अवगुण हैं, वह मानवीय अवगुणों का बखान करते है, परंतु श्री कृष्ण के जो वास्तविक गुण है, जिन गुणों की पूजा होनी चाहिए उनका बखान नहीं करते।

श्री करौली शंकर महादेव का कहना था कि जो समाज के लिए प्रेरणादायक है उसका प्रचार कोई भी नहीं करता। ऐसे गुणों का बखान ना किया जाये जिससे हमारे समाज में व्याभिचार फैले या मानव चरित्र का पतन हो। गीता का असली संदेश जिससे स्वयं और अगली पीढ़ी के चरित्र का विकास हो ऐसा ज्ञान मानवजाति के सामने आना चाहिए, जिससे हर मानव योगेश्वर श्री कृष्ण को जाने जो वास्तव में उनकी छवि है उसे जाने, श्री करौली शंकर महादेव द्वारा श्री कृष्ण का नहीं बल्कि इन कथा वाचकों तथा कुछ प्रवचन कर्ताओं के द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं, मिथकों का विरोध किया जाता है ।  श्री करौली शंकर गुरुदेव ने उदाहरण देते हुए कहा की हम महर्षि वाल्मीकि का पूजन करते हैं ना  कि डाकू वाल्मीकि का, उसी प्रकार हम योगेश्वर श्री कृष्ण का पूजन करते है जिन्होंने गीता का ज्ञान दिया ना कि उस कृष्ण का, जिसका यह कथावाचक दुष्प्रचार करते है, इन्ही कथा वाचको के दुष्प्रचार के कारण ही समाज में व्याभिचार फैल रहा है छोटे-छोटे बच्चों में बचपन से ही स्मृतियों डाल दी जाती हैं जिससे ये बड़े होकर उन स्मृतियों के वशीभूत होकर वैसा ही आचरण करते हैं, बालपन में ही प्रेमी प्रेमिका बना लेते है, जो कि समाज और परिवार को स्वीकार नहीं होता है ।

श्री करौली शंकर गुरुजी अपने करौली शंकर महादेव पूर्वज मुक्ति धाम में प्रतिदिन दरबार लगाते है जहां हजारों की संख्या में भक्त आकर उनका आशीर्वाद लेते है जहां वह भक्तों के कर्मभोग काटकर, उनके साध्य तथा असाध्य रोगों की नकारात्मक स्मृतियों को जड़ से नष्ट करके लोगों को तमाम कष्टों व रोगों से मुक्त करते हैं । इस दरबार में लोग अपनी आस्था,विश्वास और श्रद्धा के बल पर पदयात्रा, दंडवत यात्रा और वैदिक अनुष्ठान करके पुण्य प्राप्त करते हैं और अपनी प्रार्थना तथा संकल्प करके स्वतः ही स्वस्थ होते हैं ।


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