नई दिल्ली : देश में कोरोना संक्रमण जैसे-जैसे अपने पांव पसार रहा है वैसे ही देश के वैज्ञानिक कोरोना संक्रमण को रोकने और उसके प्रभाव को कम करने की दिशा में लगातार शोध में जुटे हैं। हाल ही में आयुष मंत्रालय और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साझा शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि आयुष मंत्रालय की नई दिल्ली स्थित शाखा केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) द्वारा विकसित एक पॉली हर्बल फॉर्मूला ‘आयुष-64’, हल्के और मध्यम कोविड-19 के उपचार में लाभकारी है। आयुष मंत्रालय ने ‘आयुष-64’ को कोरोना संक्रमण में कारगर और सुरक्षित बताया है।
केंद्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक डॉ एन श्रीकांत ने बताया कि अब तक मिले परिणामों ने हल्के और मध्यम कोविड-19 से निपटने में इसकी भूमिका स्पष्ट तौर पर देखी गयी है। उन्होंने यह भी बताया कि सात क्लीनिकल ट्राइल के परिणाम से पता चला है कि ‘आयुष-64’ के उपयोग से संक्रमण के जल्दी ठीक होने और बीमारी के गंभीर होने से बचने के संकेत मिले हैं।
इस शोध के लिए आयुष मंत्रालय और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने एक संयुक्त निगरानी समिति गठित की है, जिसके अध्यक्ष स्वास्थ्य शोध विभाग के पूर्व सचिव तथा आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ वी एम कटोच हैं।
पुणे स्थित सेंटर फॉर रूमेटिक डिसीज के निदेशक डॉ अरविंद चोपड़ा ने बताया कि यह परीक्षण तीन केंद्रों पर आयोजित किया गया था। इसमें किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ, दत्ता मेघे आयुर्विज्ञान संस्थान (डीएमआईएमएस) वर्धा और बीएमसी कोविड केंद्र, मुंबई शामिल रहे तथा प्रत्येक केंद्र में 70 प्रतिभागी शामिल रहे।
डॉ अरविंद चोपड़ा ने कहा है कि इस दवा पर हुए अध्ययन ने यह स्पष्ट किया हैं कि ‘आयुष-64’ दवा को कोविड-19 के हल्के से मध्यम मामलों के उपचार में मानक चिकित्सा के सहायक के रूप में प्रभावी और सुरक्षित दवा के रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होने यह भी कहा कि जो रोगी ‘आयुष-64’ दवा ले रहे हैं उनकी निगरानी की अभी भी आवश्यकता है ताकि अगर बीमारी और बिगड़ने की स्थिति हो तो उसमें अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ऑक्सीजन और अन्य उपचार उपायों के साथ अधिक गहन चिकित्सा की आवश्यकता की पहचान की जा सके।
आयुष नेशनल रिसर्च प्रोफेसर तथा कोविड-19 पर अंतर-विषयक आयुष अनुसंधान और विकास कार्य बल के अध्यक्ष डॉ भूषण पटवर्धन ने कहा कि ‘आयुष-64’ पर हुए इस अध्ययन के परिणाम अत्यधिक उत्साहजनक हैं और आपदा की इस कठिन घड़ी में जरूरतमंद मरीजों को आयुष 64 का फायदा मिलना ही चाहिए।
आयुष-सीएसआईआर संयुक्त निगरानी समिति के अध्यक्ष डॉ वीएम कटोच ने बताया कि समिति ने ‘आयुष-64’ के अध्ययन के परिणामों की गहन समीक्षा की है। उन्होने कोविड-19 के लक्षणविहीन संक्रमण, हल्के तथा मध्यम संक्रमण के प्रबंधन के लिए इसके उपयोग की संस्तुति की। इसके साथ ही समिति ने आयुष मंत्रालय से सिफारिश की है कि वह राज्यों के नियामकों को आयुष 64 के इस नये उपयोग के अनुरूप इसे हल्के और मध्यम स्तर के कोविड-19 संक्रमण के प्रबंधन में उपयोगी के तौर पर सूचित करे।
डॉ एन श्रीकांत ने बताया कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम), ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई), राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन), एम्स जोधपुर और मेडिकल कॉलेजों सहित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में ‘आयुष-64’ दवा पर अध्ययन जारी हैं।
‘आयुष-64’ दवा सप्तपर्ण, कुटकी, चिरायता एवं कुबेराक्ष औषधियों से बनी है। यह व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर बनाई गयी है और सुरक्षित तथा प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है। आयुष-64 दवा 30 साल पहले मलेरिया व फ्लू के उपचार के लिए विकसित की गई थी। इस दवा को कोरोना के मरीजों के लिए sanshodhitकरके इस पर ट्रायल किया गया जिसमें यह कारगर पाई गई है। (इंडिया साइंस वायर)