कोरोना वायरस के विरुद्ध प्रभावी हो सकता है माउथवॉश

Share this

नई दिल्ली : नियमित तौर पर उपयोग किए जाने वाले माउथवॉश क्लोरहेक्सिडाइन को भारतीय शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने में प्रभावी पाया गया है। डॉ एचएसजे इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज, पंजाब यूनिवर्सिटी और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की चंडीगढ़ स्थित प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (CSIR-IMTECH) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन मे यह खुलासा किया गया है।

हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज द्वारा समर्थित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि नोवेल कोरोना वायरस (SARS CoV-2) मुंह और नाक के अंदर की छिपी जगहों में अपना डेरा जमा लेता है। इस शोध में, नोवेल कोरोना वायरस के खिलाफ क्लोरहेक्सिडाइन 0.2% की प्रभावशीलता का आकलन किया गया है। यह देखा गया कि क्लोरहेक्सिडाइन डिग्लुकोनेट की 0.2 प्रतिशत मात्रा सिर्फ 30 सेकेंड के न्यूनतम संपर्क समय में कोरोना वायरस को 99.9 प्रतिशत तक नष्ट कर सकती है।

इस अध्ययन से जुड़े डॉ एचएसजे इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज के शोधकर्ता आशीष जैन ने कहा है कि “लैब में किए गए हमने अपने अध्ययन में पाया कि क्लोरहेक्सिडिन की उपयुक्त मात्रा से कुल्ला करने के 30 सेकंड के भीतर कोरोना वायरस नष्ट हो जाता है।” हालांकि, लैब में किए गए अध्ययन से मिले ये प्रारंभिक परिणाम हैं, जिसका चिकित्सीय परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 के प्रकोप के दौरान नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मौखिक स्वच्छता के बारे में बड़े पैमाने पर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। उनका मानना है कि मुंह में हानिकारक सूक्ष्मजीवों के जमावड़े और संभवतः संक्रमण के संचरण को कम करने के लिए कुल्ला करके मुंह धोना एक प्रभावी तरीका हो सकता है। (इंडिया साइंस वायर)


Share this

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here