“आवश्यक हैजैव प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन एवं विश्व स्तरीय अनुसंधान”

“It is necessary to encourage and world-class research for biotechnology startups”
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नई दिल्ली, 20 नवंबर: केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, डॉ जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी के तेजी से उभरते क्षेत्र में उद्योग जगत के साथ तालमेल वाले स्थायी और व्यवहार्य स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने का आह्वान किया है। वह, हाल में, नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के स्वायत्त संस्थानों की दो दिवसीय व्यापक समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।

डॉ जितेंद्र सिंह ने डीबीटी के स्वायत्त संस्थानों से एक या दो प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने और वैश्विक मानकों के अनुरूप अनुसंधान करने की बात कही है। उन्होंने कोविड-19 महामारी से लड़ने और टीकों तथा अन्य प्रोटोकॉल विकसित करने की प्रक्रिया में अनुसंधान के लिए अधिकांश संस्थानों की सराहना की।उन्होंने समग्र विकास के लिए अत्याधुनिक एवं व्यवहार्य अनुसंधान हेतु डीबीटी के अग्रणी संस्थानों के बीच पारस्परिक और बाहरी संस्थाओं के साथ प्रभावी तालमेल की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस समीक्षा बैठक में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के 14 स्वायत्त संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

अल्जाइमर पर प्रभावी हस्तक्षेप के लिए विशेष अध्ययन करने के लिए डॉ जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (एनबीआरसी), मानेसर के वैज्ञानिकों का आह्वान किया है। इसी तरह, उन्होंने ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई), फरीदाबाद के कोविड के बाद के समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य के समक्ष आने वाली जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक ट्रांसलेशनल अध्ययन करने को कहा है, जिससे सस्ती प्रौद्योगिकियों के उत्पादन में मदद मिल सकती है।

केंद्रीय मंत्री ने इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस ऐंड रीजनरेटिव मेडिसिन (इनस्टेम), बंगलूरू के वैज्ञानिकों से स्टेम सेल और रीजनरेटिव मेडिसिन के क्षेत्र में आधारभूत और ट्रांसलेशनल कार्य को प्रोत्साहित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि यह जैव प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण और अत्याधुनिक क्षेत्र है। डॉ. सिंह ने कहा कि इनस्टेम को भारत के अन्य हिस्सों में अस्पतालों से जुड़ना चाहिए।

राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएआईबी), हैदराबाद के निदेशक ने समीक्षा सत्र के दौरान बताया कि संस्थान ने हाल ही में 10 जूनोटिक रोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने बताया कि एनएआईबी ने पीएम केयर्स फंड की सहायता से कोविड परीक्षण और पशु चिकित्सा टीकों के परीक्षण के लिए के लिए एक “वैक्सीन परीक्षण केंद्र” भी स्थापित किया है।

राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र (एनसीसीएस), पुणे के निदेशक ने सूचित किया कि संस्थान द्वारा दो महत्वाकांक्षी कार्यक्रम एम.ए.एन.ए.वी. (मानव) और माइक्रोबायोम पहल लागू किया जा रहा है। एनसीसीएस निदेशक ने आगे बताया कि संस्थान द्वारा550 संगठनों को 55,000 से अधिक सेल कल्चर की आपूर्ति की गई है।

मोहाली स्थित राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई) के निदेशक ने बताया कि उनके संस्थान द्वारा गेहूँ में उच्च स्तर के प्रतिरोधी स्टार्च विकसितकिया गया है, जो जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के प्रबंधन में उपयोगी हो सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि एनएबीआई में 20 गुना अधिक प्रो विटामिन-ए वाले केले का विकास, अनेक धारियों वाले रंगीन गेहूँ का विकास किया गया है, जिन्हें कई कंपनियों को हस्तांतरित किया गया है।

पश्चिम बंगाल के कल्याणी में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी) के निदेशक ने बताया कि एनआईबीएमजी विशेष रूप से मानव स्वास्थ्य एवं रोगों के जीनोमिक्स के लिए समर्पित है। इसमें विश्व स्तरीय सुविधाएं हैं, जिनका उपयोग भारत में प्रमुख रूप से कैंसर और अन्य पुरानी और संक्रामक बीमारियों पर अत्याधुनिक शोध करने के लिए किया जा रहा है।

इस समीक्षा बैठक में राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी), तिरुवनंतपुरम, सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग ऐंड डायग्नोस्टिक्स, (सीडीएफडी), हैदराबाद, जीव विज्ञान संस्थान (आईएलएस), भुवनेश्वर, राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान, (एनआईपीजीआर), नई दिल्ली, जैव संसाधन एवं स्थाई विकास संस्थान, (आईबीएसडी), इंफाल, राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान, (एनआईआई) नई दिल्ली, राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई), मोहाली, सेंटर ऑफ इनोवेटिव एंड एप्लाइड बायोप्रोसेसिंग (सीआईएबी), मोहाली, राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (एनबीआरसी), मानेसर, ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई), फरीदाबाद, राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र (एनसीसीएस), पुणे, राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएआईबी), हैदराबाद, स्टेम सेल विज्ञान और पुनर्योजी चिकित्सा संस्थान (इनस्टेम), बंगलूरू, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी) कल्याणी के प्रतिनिधि शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)


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