कोर्निया को चोट से होने वाले नुकसान के उपचार के लिए हाइड्रोजेल विकसित

Hydrogel developed for treatment of cornea injury
Share this

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), हैदराबाद की एक खोज आफ्थमालजी यानी नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है। संस्थान में बायो-मेडिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. फाल्गुनी पाटी के नेतृत्व शोधकर्ताओं ने एक विशेष हाइड्रोजेल बनाया है जिसेआँख के कोर्निया में चोट लगने के तत्काल बाद उपयोग किया जा सकता है। यह हाइड्रोजेल चोटिल कोर्निया में घर्षण (scarring) जनित नुकसान को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

यह हाइड्रोजेल मानवीय और अन्य जीवों के परित्यक्त कॉर्निया से एक सरल प्रक्रिया द्वारा विकसित किया गया है। इस हाइड्रोजेल से नेत्र विज्ञान की कई प्रक्रियाएं सुगम हो जाएंगी साथ ही शल्य क्रिया यानी सर्जरी की आवश्यकता भी कम होगी। शोधकर्ताओं ने इनक्युबेशन तापमान पर आधारित इसे दो स्वरूपों, तरल और जेल के माध्यम से इंजेक्शन के द्वारा इस्तेमाल में सक्षम बनाया है।

वर्तमान में चोटिल कोर्निया मेंस्कारिंग को रोकने के लिए कोई कारगर रणनीति उपलब्ध नहीं है। अभी तकस्कारिंग के लिए कॉर्नियल प्रत्यारोपण के अलावा कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। इस उपलब्धि पर शोधकर्ताओं की टीम को बधाई देते हुए आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रो. बी. मूर्ति ने कहा, ‘किसी भी जीवित प्राणी के लिए दृष्टि बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऐसे में डॉ. फाल्गुनी और उनकी टीम द्वारा की गई यह खोज कई लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने का माध्यम बनेगी। इस खोज ने एक बार फिर समाज की व्यापक भलाई के लिए कार्य करने और उसके लिए सहयोग बढ़ाने में हमारी प्रतिबद्धता को पुनः रेखांकित किया है।’

प्रो. डी.बालासुब्रमणियन चेयर ऑफ आई रिसर्च और वीरेंद्र सांगवान चेयर ऑफ रीजेनरेटिव ऑफ्थमालजी और सेंटर फॉर ऑक्युलर रीजेनरेशन (कोर) के निदेशक डॉ. सायन बासु का कहना है, ‘भारत और तमाम अन्य विकासशील देशों में दृष्टिहीनता और दृष्टिबाधिता के अधिकांश मामलों में कॉर्नियल डिजीज ही सबसे अधिक जिम्मेदार हैं और यहां डोनर यानी दानदाता भी बहुत कम हैं। ऐसे में हमारी यह सहभागिता काफी फलदायी होगी। इससे उन तमाम लोगों को कॉर्नियल दृष्टिहीनता से मुक्ति मिलेगी, जिनके कॉर्नियल ट्रांसप्लांट में मुश्किलें आती हैं।’ (इंडिया साइंस वायर)


Share this