डीआरडीओ एवं एआईसीटीई ने शुरू किया रक्षा प्रौद्योगिकी में एम.टेक

DRDO and AICTE started M.Tech in Defense Technology
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नई दिल्ली: बदलते समय के साथ रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्याधुनिक नवाचार समय की माँग हैं, जिसके लिए इस क्षेत्र के श्रम बल का कुशल तकनीकी प्रशिक्षण जरूरी है। इस क्षेत्र के लिए आवश्यक सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक ज्ञान, कौशल तथा योग्यताप्रदान करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) नेरक्षा प्रौद्योगिकी में एक नियमित मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एम. टेक) कार्यक्रम (course) शुरू किया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ केअध्यक्ष डॉ जी. सतीश रेड्डी और एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने हाल में एआईसीटीई, नई दिल्ली द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान इस नये कोर्स का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम इच्छुक इंजीनियरों को रक्षा प्रौद्योगिकी में अपना करियर शुरू करने के लिए तैयार करेगा।

यह एम.टेक रक्षा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम, एआईसीटीई से संबद्ध संस्थानों/विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी या निजी इंजीनियरिंग संस्थानोंमें आयोजित किया जा सकता है। इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस साइंटिस्ट्स ऐंड टेक्नोलॉजिस्ट्स (आईडीएसटी) इस कार्यक्रम के संचालन के लिए संस्थानों को सहायता प्रदानकरेगा। इस कार्यक्रम को ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन प्रारूपों में आयोजित किया जा सकता है।

इस कार्यक्रम में, कॉम्बैट टेक्नोलॉजी, एयरो टेक्नोलॉजी, नेवल टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन सिस्टम्स ऐंड सेंसर्स, डायरेक्टेड एनर्जी टेक्नोलॉजी और हाई एनर्जी मैटेरियल टेक्नोलॉजी जैसे विषय शामिल हैं। छात्रोंको डीआरडीओ प्रयोगशालाओं,  सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों औरउद्योगों में अपने मुख्य थीसिस कार्य पूरा करने के अवसर प्रदानकिए जाएंगे। यह कार्यक्रम रक्षा अनुसंधान और विनिर्माण क्षेत्र के विस्तारमें अवसरों की माँग करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी होगा।

रक्षा प्रौद्योगिकी मेंस्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू करने के लिए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एआईसीटीई और उद्योगों कोबधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदान ‘आत्मनिर्भर भारत’ का दृष्टिकोण साकार करने में मददमिलेगी। वहीं, डॉ जी. सतीश रेड्डी ने आशाव्यक्त की है कि इस कार्यक्रम से रक्षा क्षेत्र के लिएप्रतिभाशाली कार्यबल का एक बड़ा जत्था तैयार किया जा सकेगा । उन्होंने उद्योगजगत से इस कार्यक्रम में सहभागी होने और छात्रों को अवसरप्रदान करने का आह्वान किया है।

प्रोफेसर अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि “इसकायक्रम से न केवल रक्षा प्रौद्योगिकी में कुशल जनशक्तितैयार होगी, बल्कि नये रक्षा स्टार्टअप और उद्यमियों के मामले में अनापेक्षितलाभ भी मिल सकेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि शोध को दैनिक जीवन से जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह मानवीय मनोविज्ञान का मूल है।

भारत फोर्ज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्रीबाबासाहेब नीलकंठ कल्याणी ने डीआरडीओ और एआईसीटीई को इस कार्यक्रम कीशुरुआत करने के लिए बधाई दी और रक्षा प्रौद्योगिकी के लिए प्रतिभा-निर्माण के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला और यह बताया कि यह कार्यक्रम किस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार कर पाएगा। (इंडिया साइंस वायर)


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