डीएसटी की पहली महिला सचिव बनीं डॉ रेणु स्वरूप

Dr. Renu Swarup became the first woman secretary of DST
Share this

नई दिल्ली: भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की सचिव डॉ रेणु स्वरूप को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव के पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति की ओर से मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। नियमित पदाधिकारी की नियुक्ति या किसी अन्य आदेश तक उन्हें यह कार्यभार दिया गया है। इस तरह, डॉ स्वरूप डीएसटी की पहली महिला सचिव बन गई हैं।डॉ रेणु स्वरूपअब प्रोफेसर आशुतोष शर्मा के स्थान पर डीएसटी सचिव की जिम्मेदारी संभालेंगी।

इसके साथ ही, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक एवं वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ शेखर सी. मांडे को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि कुछ समय पूर्व प्रोफेसर आशुतोष शर्मा को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव के रूप में अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था।

डॉ रेणु स्वरूप ने 10 अप्रैल 2018 को दो साल के कार्यकाल के लिए डीबीटी सचिव के रूप में पदभार संभाला था।बाद में एक अन्य आदेश द्वारा उनका कार्यकाल बढ़ाकर 31 अक्तूबर 2021 तक कर दिया गया था।

डीबीटी सचिव होने के अलावा, डॉ स्वरूप जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक) की अध्यक्ष भी हैं, जो डीबीटी द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।बाइरैकको स्टार्टअप और छोटे एवं मध्यम उद्यमों पर विशेष ध्यान देने के साथ जैव प्रौद्योगिकी में नवीन अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है किडॉ स्वरूप विभिन्न रूपों में लगभग तीन दशक से जैव प्रौद्योगिकी विभाग में अपनी सेवाएंदे रही हैं।

जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी), डॉ रेणु स्वरूप ने कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप के तहत जॉन इन्स सेंटर, नॉर्विच यूके में पोस्ट डॉक्टरेट पूरा किया है। वर्ष 1989 में वह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में एक विज्ञान प्रबंधक का कार्यभार संभालने के लिए भारत लौट आयीं।तभी से, डॉ स्वरूप भारत में जैव प्रौद्योगिकी से जुड़ी गतिविधियों को दिशा प्रदान करने में सक्रिय रूप से जुटीरही हैं।

वर्ष 2001 का जैव प्रौद्योगिकी दृष्टिपत्र और वर्ष 2007 की राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति का विकासइसके उदाहरण कहे जा सकते हैं। डॉ स्वरूप वर्ष 2001 में विकसितकिए गए जैव प्रौद्योगिकी विजन और वर्ष2007 में विकसित राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति और रणनीति II, 2015-20 की विशेषज्ञ समिति के सदस्य सचिव के रूप में सक्रिय तौर पर जुड़ी हुई थीं।

डॉ. रेणु स्वरूप महिलाओं और विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों और गतिविधियों में भी निकटता से शामिल रही हैं। महिला वैज्ञानिकों के लिए बायोटेक्नोलॉजी करियर एडवांसमेंट – बायो केयर (Bio CARE) योजना को लागू कराने में उनकी अग्रणी भूमिका रही है। वह प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति द्वारा गठित ‘विज्ञान में महिलाएं’ पर केंद्रित टास्क फोर्स की सदस्य भी थीं।

डॉ रेणु स्वरूप भारत की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी समेत कई राष्ट्रीय संस्थानों, विश्वविद्यालयों और केंद्रों के शासी निकाय की सदस्य हैं। वर्ष 2012 में, उन्हें “बायोस्पेक्ट्रम पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड” से सम्मानित किया गया था।(इंडिया साइंस वायर)


Share this

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here