क्या AI कर सकती है जन की आवाज को बुलंद करने में मदद 

Narayan Singh Rao, PoGoSo Social,
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– श्री नारायण सिंह राव, चीफ ग्रोथ अफसर, पोगोसो सोशल 

शासन के उभरते हुए परिदृश्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एकीकरण परिवर्तनकारी ताकत के रूप में उभरा है। इससे नीति निर्माण के पारंपरिक नजरिये को नया आकार मिला है। आज जब समाज सभी लोगों को शामिल करते हुए बड़े पैमाने पर नीतियां बनाने और जवावदेही सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। लोगो की आशाओं, आकांक्षाओं और उम्मीदों को समझना और उसे नीतियों में शामिल करने में AI का इस्तेमाल करना काफी महत्वपूर्ण हो गया है। पहले जहां शीर्ष पर बैठे कुछ अधिकारी नीतियां बनाते थे, अब इस मानक में बदलाव के चलते नीति निर्माण में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल किया जा सकता है. और निति-निर्धारण में और उसके क्रियान्यवन में नागरिक को केंद्र में रखा जा सकता है। इस प्रकार नागरिकों की आवाज को बुलंद करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक प्रमुख माध्यम बन कर उभर सकता है। 

नीति निर्माण में AI की सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक विस्तृत आंकड़ों को कम समय में विश्लेषण करने की क्षमता है। जन भावनाओं के विश्लेषण, भाषा की प्रोसेसिंग और मशीन लर्निंग एलॉगरिथम से AI विविध स्त्रोतों से सूचनाएं एकत्र कर सकता है। इसमें सोशल मीडिया, सर्वे और पब्लिक फोरम से एकत्रित सूचनाएं शामिल हैं। इससे लोगों की भावनाओं का पता लगाया जा सकता है, उभरती हुई आकाँक्षाओं और चिंताओं को समय रहते ही पहचाना जा सकता है। नीति निर्माण में आंकड़ों का उपयोग कर नीति निर्माता अपने घटकों की सूक्ष्म प्राथमिकताओं के संबंध में अमूल्य जानकारी हासिल कर सकते हैं।

इसके अलावा AI नीति निर्माताओं को नागरिकों से सीधे जुड़ने में सक्षम बनाता है, जो पहले संभव नहीं था। AI क्षमता से लैस वर्चुअल असिस्टेंस और चैटबॉट्स नागरिकों से सार्थक ढंग से बातचीत कर सकते हैं। फीडबैक मांग सकते हैं। सवालों के जवाब दे सकते है और नीति निर्माण की प्रक्रिया में उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। यह इंटरफेस सक्रीय और सबकी पहुंच में हैं। इससे सरकार और नागरिकों के बीच बेहतर पारदर्शिता विकसित होती है और विश्वास पनपता है। इस तरह यह तकनीक सोच समझकर और सबकी साझेदारी से नीति निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है। पोगोसो सोशल (PoGoSo Social) जैसे तकनीक पर निर्भर स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

इसके अलावा AI का भविष्यवाणी करने वाला मॉडल भविष्य की चुनौतियों से निपटने और अवसरों का लाभ उठाने का वादा करता है। ऐतिहासिक आंकड़ों और रुझानों का विश्लेषण कर AI संभावित नतीजों और उनके प्रभाव की भविष्यवाणी कर करता है। इससे नीति निर्माताओं को भविष्य में विकराल रूप में उभरने वाली समस्याओं का पहले ही समाधान करने की मंजूरी मिलती हैं। चाहे जनसांखियकी पैटर्न में बदलाव की बात हो, आर्थिक उतार-चढ़ाव की बात हो या पर्यावरणीय जोखिम को पहचानने का मुद्दा हो, AI नीति निर्माताओं को समय की कसौटी पर खरे उतरने वाली लचीली और अपनाने योग्य नीतियां बनाने की ताकत देता है। 

हालांकि नीति निर्माण के कार्य को AI को शामिल करने में चुनौतियां भी कम नहीं है। AI का प्रयोग करने से पूर्व  इसके नैतिक आधार पर विचार करने की जरूरत भी है। इसमें सबसे अहम डेटा प्राइवेसी और सिक्युरिटी है। चूंकि AI आंकड़ो के विस्तृत विश्लेषण पर निर्भर है। इसलिए आंकड़ों के संकलन, सरंक्षण और व्यक्तिगत जानकारी के उपयोग की चिंताएं भी अनिवार्य रूप से खड़ी हो जाती हैं। AI की पूर्ण क्षमता का उपयोग करते हुए नागरिकों की प्राइवेसी और गोपनीयता की रक्षा बेहद नाजुक रूप में संतुलन साधने जैसा काम है, जिसके लिए मजबूत नियामक आधारभूत ढांचे और नैतिक दिशा-निर्देशों की जरूरत पड़ेगी। इससे जिम्मेदाराना ढंग से पारदर्शी नीतियां बनाना सुनिश्चित होगा।

इसके अलावा इससे एलॉगरिथम के भेदभाव का जोखिम है, जिससे मौजूदा असमानताओं और समाज की कुछ श्रेणियों को हाशिए पर डालने का खतरा भी है। भेदभावपूर्ण डाटा सेट और दोषपूर्ण एलॉगरिथम से  नतीजों में काफी अंतर आ सकता है। इससे सामाजिक असामानता जन्म ले सकती है और निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों को ठेस पहुंच सकती हैं। इस जोखिम से निपटने के लिए सतर्कता और AI से लैस सोल्यूशन के विकास और तैनाती में विविधता और सभी को शामिल करने की भावना के प्रति प्रतिबद्धता जरूरी है। 

इन चुनौतियों के बावजूद नई नीतियों के निर्माण की परिकल्पना में AI की अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। नागरिकों की आवाज को बुलंद करने में AI की ताकत का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा आंकड़ों के विश्लेषण से नीति निर्माता अधिक जवावदेह और समुदाय की आकांक्षाओं को उभारने वाली नीतियां बना सकते हैं, जो वास्तव में समाज की भावनाओं को अभिव्यक्त करें। हालांकि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार, टेक प्रोवाइडर्स, नागिक समाज और नागरिकों के बीच बेहतर साझीदारी के प्रयास करने की जरूरत होती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भविष्य में प्रशासनिक संचालन को आकार देने के लिए AI एक अच्छी और बेहतरीन ताकत के रूप में काम करे। 

नतीजे के रूप में हम कह सकते हैं कि AI में निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों की उम्मीदों को जगह देकर नीति निर्माण के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है। डेटा एनालिटिक्स, इंटरएक्टिव इंटरफेस और भविष्य की मॉडलिंग से नीति निर्माता अपने घटकों की आवश्यकता और प्राथमिकताओं के बारे में गहराई से जानकारी एकत्र कर सकते हैं। इससे वह ज्यादा सोच-समझकर समान रूप से भविष्य की दिशा में नीतियां बनाने में सक्षम होते हैं। हालांकि इस क्षमता का लाभ लेने के लिए नैतिक सिद्धांतों के प्रति गहन प्रतिबद्धता, पारदर्शिता और सभी को साथ सेकर चलने की भावना आवश्यक है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि AI विभाजन का स्त्रोत न बने और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के उपकरण के रूप में काम करे। आज जब हम डिजिटल युग की जटिलाओं से जूझ रहे है, हमें समाज की भलाई के लिए AI की परिवर्तनकारी ताकत का लाभ उठाने के अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। 

इस कॉलम में अभिव्यक्त किए गए विचार पोगोसो सोशल के चीफ ग्रोथ अफसर श्री नारायण सिंह राव के हैं। राव  एक लेखक, विचारक तथा आईआईटी रुड़की व आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र हैं.


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