वस्त्र मंत्रालय की वस्त्र समिति ने जापान के बाज़ारों में वस्त्र और परिधान को बढ़ावा देने के लिए जापान की एम/एसनिसेनकेन क्वालिटी इवैल्युएशन सेंटर के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय की वस्त्र समिति और जापान के एम/एस निसेनकेन क्वालिटी इवैल्युएशन सेंटर के बीच बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों संगठनों ने एक औपचारिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। 2 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इन दोनों संगठनों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने को मंजूरी प्रदान की गई थी। समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत की ओर से केन्द्रीय वस्त्र और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ुबिन इरानी और जापान की तरफ से जापान सरकार के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग राज्य मंत्री श्री यसुमसा नागासका ने की।
एमओयू का मुख्य उद्देश्य परीक्षण, निरीक्षण और अनुरूपता मूल्यांकन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) और परामर्श के माध्यम से जापानी खरीदारों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए वस्त्र व्यापार और उद्योग को ज़रूरी सहायता प्रदान करना है। उम्मीद है कि यह एमओयू दुनिया के तीसरे सबसे बड़े निर्यात गंतव्य जापान में भारत के वस्त्र और परिधानों के निर्यात को बढ़ाकर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को मज़बूती बनाएगा।
यह एमओयू दोनों देशों की आपसी बातचीत को औपचारिक स्तर पर लेकर जाएगा और अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता के अनुसार दोनों के संबंधों को मज़बूत करेगा। दोनों संस्थानों के बीच ज़रूरी तकनीकी सूचनाएं और दस्तावेज़ों को नियमित रूप से आपस में साझा करने पर सहमति बनी है। साथ ही दोनों संस्थान मानक, गुणवत्ता आश्वासन मानदंड, परीक्षण पर आधारित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, उद्योग तक डाटा प्रसार के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल उपकरणों का विकास और दोनों देशों से कपड़ा मूल्य श्रृंखला (टीवीसी) के विभिन्न स्रोतों को सुविधा मुहैया कराना जैसी गतिविधियाँ करने पर भी सहमति बनी है।
हस्ताक्षर समारोह के अवसर पर बोलते हुए श्रीमती स्मृति ज़ुबिन इरानी ने भारत और जापान की मित्रता और आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं सभ्यता के आधार पर दोनों के मज़बूत रिश्तों के लंबे इतिहास को याद किया। उन्होंने माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत-जापान संबंधों को और अधिक मज़बूती मिलने की सराहना की।मंत्री ने जापान में निर्यात के लिए कड़े गुणवत्ता मानकों से संबंधित चुनौती पर प्रकाश डाला और विश्वास व्यक्त किया कि यह एमओयू जापान के आयातकों द्वारा मांगे जा रहे विभिन्न गुणवत्ता मापदंडों पर जागरूकता बढ़ाएगा और भारतीय निर्यातकों को इन मापदंडों के अनुरूप तकनीक रूप से सक्षम बनने या उसे अपग्रेड करने में मदद करेगा, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके और जापानी आयातकों द्वारा लगाई गई आवश्यक शर्तों को पूरा किया जा सके।
उन्होंने दोनों संगठनों के कामकाज में तालमेल के बारे में बातचीत की और विश्वास जताया किया कि इससे तकनीकी कपड़ा क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और भारत से वस्त्र निर्यात में सुधार होगा। उन्होंने वस्त्र और परिधान उद्योग से आग्रह किया कि वे भारतीय के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उपलब्ध सभी अवसरों का बेहतर इस्तेमाल करे।
इस अवसर पर बोलते हुएजापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग राज्य मंत्री श्री यसुमसा नागासका ने कहा कि जापानी उद्योग के लिए भारत एक बड़ा बाज़ार है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत और जापान के व्यापारिक संबंधों में पर्याप्त स्तर पर विकास होगा।
भारत और जापान के बीच वर्ष 2011 में एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर हुए थे, जो शून्य शुल्क पर भारत से जापान में कपड़ों के आयात की सुविधा प्रदान करता है।सीईपीए समझौते के बावजूद, दोनों देशों के बीच वस्त्र और परिधानमें व्यापार में वृद्धि कम रही है। जापान वस्त्र और परिधान का आयात करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है, और भारत छठा सबसे बड़ा निर्यातक है। ऐसे में इस क्षेत्र में अभी अपार अनछुई संभावनाएं मौजूद हैं।
गौरतलब है कि फरवरी 2019 में वस्त्र मंत्रालय के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल की ओर से कपड़ा क्षेत्र में निर्यात एवं सहयोग बढ़ाने और सीईपीए का लाभ लेने के लिए ज़रूरी क्षेत्रों की पहचान करने के उद्देश्य से एक मुहिम शुरू की गई थी।इन घटनाक्रमों के परिणामस्वरूप, कपड़ा समिति ने जापान के एम/एस निसेनकेन क्वालिटी इवैल्युएशन सेंटर के साथ बातचीत शुरू की, ताकि दोनों संगठनों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से दोनों देशों के कपड़ा व्यापार और उद्योग को बहुमूल्य सेवाएं प्रदान की जा सकें।