नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की में दिव्यसंपर्क-आई हब स्थापना की संकल्पना साकार हो गई है। इसका लक्ष्य साइबर और फिजिकल स्पेस (सीपीएस) क्षेत्र में तकनीकी नवाचार एवं उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के गढ़ के रूप में सेवाएं प्रदान करने का है। इस टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) की स्थापना नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के अंतर्गत हुई है। यह हब लगभग356 प्रमुख प्रौद्योगिकियों से जुड़ेएकीकृत समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में काम करेगा। इस हब को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से वित्त पोषण प्राप्त है। अगले पाँच वर्षों के दौरान इसके पूर्ण रूप से आकार लेने पर करीब 135 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च आने की उम्मीद है, जिसमें से 27.25 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है।
दिव्यसंपर्क-आईहब वास्तव में एक सेक्शन-8 कंपनी है, जो आईआईटी रुड़की और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक संयुक्त उपक्रम है। यह उन 25 हाई-टेक हब्स (उच्चस्तरीय तकनीक से जुड़े केंद्र) में से एक है, जो सरकारी समर्थन एवं सहयोग से स्थापित किए जा रहे हैं। स्थापना के बाद दिव्यसंपर्क विभिन्न ट्रस्टों, फाउंडेशन और उद्योग जगत से कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (कारोबारी सामाजिक उत्तरदायित्व, सीएसआर) के माध्यम से वित्तीय अनुदान प्राप्त करने के योग्य भी हो जाएगी।
टीआईएच-सीपीएस में अनुवाद शोध, राष्ट्रीय महत्व के प्रतिरूपों/उत्पादों के विकास और मूल प्रतिस्पर्धा एवं क्षमताओं के विकास में अगली पीढ़ी की डिजिटल तकनीक विकास का आधार बनेगा। दिव्यसंपर्क आईहब से अपेक्षा है कि वह अंतर-मंत्रालयी परियोजनाओं (इंडस्ट्री 4.0, हेल्थकेयर 4.0 और स्मार्ट सिटी इत्यादि ) में आवश्यक सीपीएस आधारित समाधान उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होगा। टीआईएस का मुख्य ध्यान परमाणु ऊर्जा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य शोध, आवास एवं शहरी मामलों, नवीन एवं अक्षय ऊर्जा, दूरसंचार एवं अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों पर होगा।
इस उपक्रम से जुड़ी संभावनाओं को लेकर आईआईटी रुड़की में परियोजना निदेशक और दिव्यसंपर्क के निदेशक मंडल के सदस्य प्रो, सुदेब दासगुप्ता ने कहा, ‘यह पहल हमारे देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों स्तरों पर लाभ होगा।’
आईआईटी रुड़की के निदेशक और दिव्यसंपर्क निदेशक मंडल के चेयरमैन प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी कहते हैं- ‘दिव्यसंपर्क साइबर फिजिकल सिस्टम और संबंधित तकनीकों के लिए प्रौद्योगिकी प्रदाता की भूमिका निभाएगी। साथ ही यह ज्ञान के सृजन, स्टार्टअप को प्रोत्साहन और आईआईटी रुड़की के साथ-साथ देश भर के भीतर समन्वय एवं सहयोग को बढ़ावा देगी।’दिव्यसंपर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)मनीष आनंद हैं, जो स्वयं आईआईटी, कानपुर के छात्र रहे हैं। (इंडिया साइंस वायर)