भू-स्थानिक डेटा और मैपिंग नीति में नये बदलावों की घोषणा

The Union Minister for Health & Family Welfare, Science & Technology and Earth Sciences, Dr. Harsh Vardhan along with the Minister of State for Development of North Eastern Region (I/C), Prime Minister’s Office, Personnel, Public Grievances & Pensions, Atomic Energy and Space, Dr. Jitendra Singh addressing a press conference on Geo-Spatial Guidelines, in New Delhi on February 15, 2021. The Secretary, Department of Science and Technology, Prof. Ashutosh Sharma, the Principal Director General (M&C), Press Information Bureau, Shri K.S. Dhatwalia are also seen.
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नई दिल्ली : भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा देश की भू-स्थानिक डेटा उपयोग एवं मानचित्रण नीति में व्यापक बदलाव की घोषणा की गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने इस संबंध में नये दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि “विश्व स्तर पर जो आसानी से उपलब्ध है, उसे भारत में प्रतिबंधित करने की आवश्यकता नहीं है। इसीलिए, भू-स्थानिक डेटा, जो पहले प्रतिबंधित था, अब भारत में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा।” नयी घोषणा में, भू-स्थानिक डेटा एवं उन पर आधारित भू-स्थानिक डेटा सेवाओं से संबंधित दिशा-निर्देश शामिल हैं।

आधुनिक भू-स्थानिक डेटा तकनीकों और मैपिंग सेवाओं पर आधारित नवीन तकनीकों के अनुप्रयोग से व्यापक लाभ विभिन्न क्षेत्रों को मिल सकते हैं। इनमें कृषि से लेकर वित्त, निर्माण, खनन, स्थानीय उद्यम और किसानों से लेकर छोटे कारोबारी तथा बड़े निगमों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां शामिल हैं। हालांकि, व्यापक महत्व के बावजूद अब तक मानचित्रों के निर्माण से लेकर उनके वितरण तक मैपिंग इंडस्ट्री पर व्यापक प्रतिबंध लगे रहे हैं। नये दिशा-निर्देशों के माध्यम से सरकार की कोशिश इन प्रतिबंधों और अन्य जटिलताओं को दूर करने की है। 

नदियों के जुड़ाव से लेकर औद्योगिक कॉरिडोर के निर्माण, रेलवे लाइन बिछाने, पुलों के निर्माण, और स्मार्ट पावर सिस्टम लगाने जैसी विभिन्न परियोजनाओं में मानचित्र और सटीक भू-स्थानिक डेटा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। डिजिटल इंडिया, स्मार्ट शहर, ई-कॉमर्स, ड्रोन तकनीक, लॉजिस्टिक्स और शहरी परिवहन जैसी तकनीकों में भू-स्थानिक डेटा के उपयोग में नयी छलांग लगाने के लिए अधिक परिशुद्धता, गहराई और बेहतर रिजोल्यूशन युक्त मानचित्रण (मैपिंग) को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

नये दिशा-निर्देशों में, भारतीय भू-स्थानिक नवाचारों के विकास को बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं, जिनमें नवीनतम मानचित्र-निर्माण प्रौद्योगिकियों का उपयोग होता है। कहा जा रहा है कि अगली पीढ़ी की मैपिंग तकनीक के साथ यह नीति भारतीय इनोवेटर्स को मानचित्रण में पर्याप्त प्रगति करने और अंततः जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाएगी।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान एवं स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने कहा है कि “भू-स्थानिक डेटा के उपयोग को संस्थागत रूप देकर सरल बनाने से घरेलू उद्योगों और सर्वेक्षण एजेंसियों को मजबूती मिलेगी। यह पहल कृषि में दक्षता बढ़ाने में मदद करेगी और अत्याधुनिक उद्योगों के उदय को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ आपातकालीन-प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाएगी।” उन्होंने कहा कि करीब तीन साल पहले इसी तरह का एक बदलाव किया गया था, जिसके अंतर्गत अपने आईडी कार्ड के उपयोग से किसी भी व्यक्ति को मानचित्रों के उपयोग की अनुमति दी गई थी। अब इस गतिविधि को अधिक लोकतांत्रिक बनाया जा रहा है। 

प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया कि भू-स्थानिक डेटा मूल रूप से स्थलाकृति संबंधी डेटा को कहते हैं, जिसमें किसी भूभाग की विशेषताएं एवं विवरण शामिल होते हैं। इनमें कोई शिपयार्ड, हॉस्पिटल, नहर, रेलवे लाइन, स्कूल, सड़क इत्यादि शामिल हो सकते हैं। भू-स्थानिक डेटा का संबंध विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के सर्वेक्षण एवं उनकी मैपिंग करने से है। उन्होंने कहा कि भू-स्थानिक डेटा विभिन्न योजनाओं के निर्माण से लेकर गवर्नेंस और ढांचागत संसाधनों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इस संबंध में जारी वक्तव्य में कहा गया है  कि हमारे कॉरपोरेशन्स और नवप्रवर्तक अब इन प्रतिबंधों के अधीन नहीं होंगे। उन्हें भारत में अब डिजिटल भू-स्थानिक डेटा एकत्र करने से लेकर इस डेटा एवं मानचित्रों को तैयार करने, उनके प्रसार, भंडारण, प्रकाशन करने और अपडेट करने से पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार का कहना है कि यह पहल इस भरोसे पर आधारित है कि हमारे स्टार्टअप और मैपिंग इनोवेटर्स इस दिशा में कार्य करते हुए खुद को स्व-प्रमाणित करने के साथ-साथ बेहतर निर्णय लागू करेंगे, और दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। 

इस अवसर पर मौजूद प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग के राज्यमंत्री डॉ जिंतेंद्र सिंह ने कहा कि “भू-स्थानिक मानचित्र बनाने से संबंधी नियमों में बदलाव किए गए हैं, और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम माना जा रहा है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को भी कई बंधनों से मुक्ति मिली है, जो औपनिवेशिक मानसिकता के द्योतक थे। भू-स्थानिक क्षेत्र को भी आज इसी तरह के बंधनों से मुक्ति मिली है।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण और देश को 05 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करने के सपने को साकार करने के लिए भू-स्थानिक डेटा एवं मानचित्रों से संबंधित नियमों को लचीला बनाने की जरूरत लंबे समय से अनुभव की जा रही थी। भारतीय कंपनियों को इस दिशा में लाइसेंस से लेकर पूर्व-अनुमोदन और अनुमतियों की जटिल प्रणाली से गुजरना होता है। ये विनियामक प्रतिबंध स्टार्टअप कंपनियों के लिए अनावश्यक जटिलताएं पैदा करने के साथ दशकों से मानचित्र प्रौद्योगिकी में भारतीय नवाचार में बाधा पैदा करते रहे हैं। (इंडिया साइंस वायर)


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