नई दिल्ली, 20 नवंबर: जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के बढ़ते दबाव के चलते इलेक्ट्रिक वाहन वर्तमान युग की एक अनिवार्य आवश्यकता बनकर उभरे हैं। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग को देखते हुए चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी से संबंधित शोध एवं विकास पर भी जोर दिया जा रहा है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों पर शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तीन नई अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं शुरू की गई हैं। इनमें बैटरी अनुसंधान प्रयोगशाला, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रयोगशाला और ऑटोमोटिव हेल्थ मॉनिटरिंग (एएचएम) प्रयोगशाला शामिल है। आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च ऐंड ट्राइबोलॉजी (कार्ट)में ये तीनों प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव, निदेशक, आईआईटी दिल्ली ने प्रोफेसर ए.के. गांगुली, उप निदेशक, (रणनीति एवं योजना); प्रोफेसर बी.के. पाणिग्रही, प्रमुख, कार्ट और संस्थान के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में रविवार को इस केंद्र का उद्घाटन किया है।कार्ट; आईआईटी दिल्ली में संचालित इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी पर आधारित केंद्र है, जिसकी स्थापना मई 2019 में की गई थी। यहकेंद्र बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों, भंडारण और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों, स्वचालित एवं कनेक्टेड वाहनों के क्षेत्रों में उच्च अनुसंधान और विकास के कार्य में लगा हुआ है।
इस अवसर पर बोलते हुएप्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने कहा, “आईआईटी दिल्ली में संचालित कार्ट ने विभिन्न ऑटोमोटिव उद्योगों के साथ सहयोग किया है, और यह केंद्र उनके सामने आने वाली तकनीकी चुनौतियों को हल करने के लिए काम कर रहा है। नई प्रयोगशालाएं कार्ट में चल रहे शोध कार्य को एक नये स्तर पर ले जाएंगी और यहाँ विकसित कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां उद्योगों तक पहुँचेंगी।”
आईआईटी दिल्ली में स्थापित नई बैटरी अनुसंधान प्रयोगशाला सेल, मॉड्यूल और पैक स्तरों पर बैटरी परीक्षण के लिए उन्नत उपकरणों से सुसज्जित है। यहाँ बैटरियों के अलावा, क्लाउड बीएमएस और डिजिटल ट्विन को एकीकृत करकेकिसी भी दोषपूर्ण सेल स्थिति की जाँच के लिए मास्टर-स्लेव कॉन्फ़िगरेशन में बैटरी प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) पर परीक्षण किया जा सकता है।
एएचएम प्रयोगशाला निगरानी, ऑटोमोटिव शोर, कंपन और कठोरता (एनवीएच) परीक्षण के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है। यहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के उपयोग से कंपन विश्लेषण, स्थिति की निगरानी, शोरनिगरानी, इन्फ्रारेडथर्मोग्राफी, ध्वनिक उत्सर्जन जैसी विभिन्न तकनीकों से खामियों का पता लगाया जा सकता है।
कार्ट के प्रमुख प्रोफेसर बी.के. पाणिग्रहीने कहा कि “यहाँ शोधकर्ताओं की टीम प्राकृतिक संसाधनों, जैव-अपशिष्ट और पुनर्नवीनीकरण सामग्री से ध्वनि संबंधी सामग्री विकसित करके ध्वनि की गुणवत्ता में सुधार, ऑटोमोटिव शोर स्रोत पहचान, शमन और अलगाव पर भी काम करती है।”
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रयोगशाला बैटरी टेस्ट सिस्टम, रीजनरेटिव एसी एम्यूलेटर और चार्जिंग डिस्कवरी सिस्टम (सीडीएस) से लैस है। प्रोफेसर पाणिग्रही ने बताया कि “सीडीएस का उपयोग सार्वभौमिक चार्जिंग संरचना के रूप में किया जाता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनोंऔर इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति उपकरणों के परीक्षण में मदद करता है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रयोगशाला इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जर के संपूर्ण कार्यों की व्यापक परीक्षण क्षमता प्रदान करती है।”(इंडिया साइंस वायर)