“उद्योग, स्टार्टअप और अकादमिक जगत को सशक्त करेंगे ‘साथी’ केंद्र”

Saathi Center to empower industry startups and academia
सगंध तेलों में मिलावट की समस्या के समाधान और अरोमा इंडस्ट्री की जरूरतों पर चर्चा के लिए कन्नौज स्थित ‘सुगंध और सुरस विकास केंद्र’के निदेशक एस.वी. शुक्ला ने हाल में बीएचयू स्थित डीएसटी-‘साथी’ कार्यक्रम की आईआरएमएस सुविधा का दौरा किया
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नई दिल्ली: देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्यरत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा शुरू की गई “Sophisticated Analytical & Technical Help Institutes (SATHI)” योजना इस पहल में शामिल है। परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान (‘साथी’) योजना के अंतर्गत देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू होने वाले विभिन्न ‘साथी’ केंद्रों में हाई-ऐंड एनालिटिकल टेस्टिंग उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। ‘साथी’ केंद्र उद्योगों, मैन्यफैक्चरिंग इकाइयों, शोध एवं विकास प्रयोगशालाओं, स्टार्टअप; सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यमों और अकादमिक संस्थानों को उत्कृष्ट ढांचा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए जा रहे हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग(डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने हाल में अपने एक ट्वीट में बताया है कि “उद्योगों, स्टार्टअप कंपनियों; सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यमों और अकादमिक संस्थानों की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित आवश्यकता को पूरा करने और उनकी मदद के लिए प्रत्येक ‘साथी’ केंद्रलगभग 125 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया जा रहा है।”

डीएसटीने चार वर्षों तक हर साल पाँच ‘साथी’केंद्रों की स्थापना की योजना बनायी है। इन केंद्रों द्वारा महंगे उपकरणों की पहुँच, उनके रखरखाव, संसाधनों के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहराव जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा। इसी के साथ-साथ सीमित अवसंरचना वाले संस्थानों तक प्रभावी संसाधनों की पहुँच को सुनिश्चित करने के प्रयासों को मजबूती भी मिल सकेगी। इस प्रकार के तीनकेंद्र 375 करोड़ रुपये की लागत से आईआईटीखड़गपुर, आईआटी दिल्ली तथा बीएचयू में स्थापित किए गए हैं।‘साथी’केंद्रों को 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन पूरेवर्ष निरंतरकार्य करने के उद्देश्य के साथ स्थापित किया जा रहा है। ऐसे में,शैक्षणिक संस्थानों तथा स्टार्टअप्स को इन केंद्रों का विशेष लाभ मिलसकता है। इसका उद्देश्य वैश्विक नेतृत्व के लक्ष्य से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक क्षेत्रों में क्षमता बढ़ाना है।

आईआईटीदिल्ली का‘साथी’ केंद्र विशेषज्ञ सलाह प्रदान करने के साथ-साथ नवाचार, प्रोटोटाइप एवं उत्पाद विकास की दिशा में उद्यमिता विकास, लघु वमध्यम उद्योगों को मदद तथा प्रोत्साहन देने के लिए निर्माण, परीक्षण व परिष्कृत विश्लेषणात्मक सुविधाएं प्रदान कर रहा है। ‘साथी’योजना के अंतर्गत दी जाने वाली ये सभी सुविधाएंआईआईटी दिल्ली के सोनीपत परिसर में मिल सकेंगी।

आईआईटी खड़गपुर के सुविधा केंद्र से जुड़े रबीब्रत मुखर्जी ने कहा है, “आईआईटी खड़गपुर देश में विज्ञान आधारित उद्यमिता और स्टार्टअप की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साथी केंद्र को अपने सामाजिक वैज्ञानिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) कार्यक्रम के रूप में मानता है।”आईआईटी खड़गपुर केएक वक्तव्य में कुछ समय पूर्वबताया गया है कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, स्टार्टअप कंपनियों, उद्यमियों और उद्योगों समेत बाहरी उपयोगकर्ताओं के लिए‘साथी’केंद्र में उपकरणों के उपयोग हेतु कम से कम 70 प्रतिशत समय आरक्षित होगा।इस सुविधा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित कन्वर्जेंस के कई प्रमुख क्षेत्र जैसे- चिकित्सा विज्ञान, सॉफ्ट मैटेरियल्स, संरचनात्मक और सुरक्षा इंजीनियरिंग, क्वांटम फोटोनिक्स, उन्नत संचार और नैनो प्रौद्योगिकी शामिल हैं। 

बीएचयू स्थित डीएसटी समर्थित ‘साथी’ केंद्र में भी शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, छात्रों, स्टार्टअप, विनिर्माण इकाइयों, उद्योगों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं की वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक ही छत के नीचे उच्च स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। ‘साथी’-बीएचयू केंद्र अभिनव और प्रभावी अनुसंधान आउटपुट के लिए विशेषज्ञता प्रदान करेगा। यह केंद्र मुख्य रूप से फूड टेस्टिंग, न्यूट्रास्यूटिकल्स, ड्रग्स, जीएलपी प्रमाणीकरण एवं एनएबीएल मान्यता के तहत दवाओं, जैविक सामग्री एवं मैटेरियल्स के परीक्षण से संबंधित विश्व स्तरीय विश्लेषणात्मक सेवाएं प्रदान करके भारतीय उद्योग की जरूरतों को पूरा करेगा।

इस पहल के बारे में माना जा रहा है कि इससे शोध एवं विकास, नवाचारों और विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए विभिन्न संस्थानों के बीच सहयोग की एक मजबूत संस्कृति को बढ़ावा मिल सकता है। (इंडिया साइंस वायर)


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